व्यक्ति के लीवर में अगर फैट का स्तर 5% भी बढ़ जाये, तो व्यक्ति फैटी लीवर से पीड़ित हो जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शुरुआत में कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। वहीं अगर यह बीमारी गंभीर रूप ले ले तो व्यक्ति में लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। सही समय पर फैटी लीवर का इलाज होना बहुत जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो यही बीमारी कैंसर, सिरोसिस या फिर लीवर खराब होने का कारण भी बन सकती है।
इस बारे में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, डॉ. साद ए.रहमान बताते हैं कि लीवर में चर्बी यानी कि फैट का जमा होना फैटी लीवर कहलाता है। दरअसल, भोजन से शरीर को ऊर्जा मिलती है। जब किसी कारणवश शरीर इस ऊर्जा का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता है, तो यही उर्जा चर्बी के रूप में जमा होने लगती है। यह चर्बी सिर्फ लिवर में नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों में भी जमा हो सकती है। शुरुआत में इसकी वजह से व्यक्ति को ज्यादा परेशानी नहीं होती है, लेकिन वक्त बीतने के साथ-साथ यह फैट उसके लीवर और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करना शुरू कर देता है। इससे मधुमेह का जोखिम भी बढ़ जाता है।
एक नजर डालें फैटी लीवर के सामान्य लक्षणों पर (Fatty Liver Symptoms)
- हर वक्त थकावट लगना या अस्वस्थ महसूस करना
- पेट के ऊपरी हिस्से में दाहिने तरफ दर्द होना
- वजन घटना
- भूख की कमी
- उल्टी
जानें फैटी लीवर के गंभीर लक्षण
अगर फैटी लीवर की समस्या बढ़ जाये तो व्यक्ति में निम्नलिखित गंभीर लक्षण नजर आ सकते हैं-
- आंखें और त्वचा का पीला पड़ना (पीलिया)
- गहरे रंग का पेशाब
- पेट में सूजन
- खून की उल्टी होना
- काला मल (मल)
- त्वचा में खुजली
फैटी लीवर में खानपान का रखें ध्यान
गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट, डॉ. धवल व्यास का कहना है कि दवाईयों से फैटी लीवर का इलाज करना मुश्किल है। शारीरिक गतिविधियां और संतुलित आहार ही इस समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं। इसीलिए भोजन में कैलोरी की मात्रा को कम रखें। प्रोटीन का सेवन ज्यादा करें एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
फैटी लीवर से आराम देने में मदद करेंगी ये 10 चीजें
लहसुन
लहसुन फैटी लीवर रोग वाले लोगों के लिए लाभकारी होता है। साल 2022 में की गयी समीक्षा में यह पाया गया कि लहसुन की खुराक नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (एनएएफएलडी) से पीड़ित लोगों के चयापचय प्रक्रिया को और ज्यादा बेहतर बनाने में मदद करती है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड
ओमेगा -3 फैटी एसिड के सेवन से एनएएफएलडी वाले लोगों में वसा, उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और बीएमआई के स्तर में सुधार हो सकता है। सैमन, सार्डिन, अखरोट आदि चीजों में ओमेगा -3 फैटी एसिड पाया जाता है। फैटी लीवर (Fatty Liver Hindi) से पीड़ित मरीजों को इनका सेवन जरूर करना चाहिये।
कॉफी
कैफीन लिवर सिरोसिस, फाइब्रोसिस आदि के जोखिम को कम करने में मदद करता है। रोजाना एक कप ब्लैक कॉफी का सेवन लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक होता है।
एवोकाडो
हेल्दी फैट एवं फाइबर से भरपूर एवोकाडो वजन प्रबंधन में मदद करता है। इसके अलावा, एवोकाडो में ग्लूटाथियोन नामक पदार्थ मौजूद होता है, जो शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में अहम भूमिका निभाता है। इसीलिए, फैटी लीवर (Fatty Liver Hindi) में इसका सेवन करना मरीज के लिए फायदेमंद हो सकता है।
ग्रीन टी
औषधीय गुणों के मद्देनजर कई हजार वर्षों से चाय के उपयोग की प्रथा चली आ रही है। ठीक इसी तरह फैटी लीवर के मामले में भी ग्रीन टी का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें कैटेचिन जैसे कई एंटीऑक्सीडेंट्स की भरमार होती है, जो फैटी लीवर रोग के लक्षणों से राहत देने में मदद करती है।
सोया और बीन्स
पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे फलियां, दाल, मटर, सोया और चना में प्रतिरोधी स्टार्च शामिल होते हैं, जो आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। वहीं बीन्स के सेवन से रक्त शर्करा और लिपिड स्तर को संतुलित रखने में मदद मिलती है।
टोफू
टोफू में पाया जाने वाला सोया प्रोटीन वसा के संग्रह को रोकने में सहायक होता है, जिससे फैटी लीवर रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है। इससे लीवर पर दबाव कम पड़ता है, साथ ही कोशिकाओं की क्षति को रोकने में भी मदद मिलती है।
हरी पत्तेदार सब्जियां
केल, पालक और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स आपके शरीर को हानिकारक मुक्त कणों से बचाते हैं। इसके अतिरिक्त इन सब्जियों में अकार्बनिक नाइट्रेट भी मौजूद होता है, जो लीवर में वसा के निर्माण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हल्दी
हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन नामक पदार्थ नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज के इलाज में मदद करता है। फैटी लीवर में सूजन की समस्या भी पैदा हो जाती है, जिसे कम करने में हल्दी सहायक साबित हो सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
फैटी लीवर (Fatty Liver Hindi) का सर्वश्रेष्ठ इलाज ही है खानपान में सुधार। हेल्दी और पौष्टिक भोजन के सेवन से इस बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता है। इसीलिए, इस मामले में जानकार बनें और अपने खानपान में सुधार करें।