पीलिया, जिसे मेडिकल की भाषा में “जॉन्डिस” के नाम से जाना जाता है। यह एक सामान्य लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। यह मुख्य रूप से त्वचा, आंखों के सफेद हिस्से (स्क्लेरा) और शरीर के अन्य ऊतकों में पीले रंग के परिवर्तन के रूप में नजर आता है। यह स्थिति शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ की अधिकता के कारण होती है। पीलिया बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकती है। यह गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। इस आर्टिकल में हम पीलिया के लक्षण, प्रकार, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
पीलिया के लक्षण [ref]
पीलिया (Jaundice) का मुख्य लक्षण त्वचा और आंखों में पीलापन होना है, लेकिन इसके अलावा इसके कई अन्य लक्षण भी होते हैं। लक्षणों का अधिक नजर आना बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है।
त्वचा और आंखों में पीलापन : शरीर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने पर त्वचा और आंखें पीली दिखाई देने लगती हैं।
गहरे रंग का मूत्र : पेशाब का रंग गहरा पीला हो सकता है।
मल का रंग हल्का होना : मरीज के मल का रंग सफेद या हल्का हो जाता है, जो पाचन प्रक्रिया में बाधा का संकेत देता है।
थकान और कमजोरी : पीलिया से प्रभावित व्यक्ति में सामान्य से अधिक थकावट और कमजोरी महसूस होती है।
खुजली : त्वचा पर खुजली होना पीलिया का एक अन्य सामान्य लक्षण है।
पेट दर्द और सूजन : लीवर की सूजन के कारण पेट में दर्द और भारीपन महसूस हो सकता है।
भूख में कमी और वजन घटना : मरीज की भूख कम हो जाती है और वजन में गिरावट हो सकती है।
पीलिया के प्रकार [ref]
पीलिया के प्रकार को चार प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।
1. प्री-हेप्टिक पीलिया (Pre-Hepatic Jaundice)
यह पीलिया तब होता है जब रक्त में लाल रक्त कोशिकाएं तेजी से टूटने लगती हैं। यह प्रक्रिया शरीर में जरूरत से अधिक बिलीरुबिन उत्पन्न करती है, जिसे लीवर पूरी तरह से प्रोसेस नहीं कर पाता है।
2. हेपेटिक पीलिया (Hepatic Jaundice)
यह पीलिया लीवर की समस्याओं के कारण होता है। इसमें लीवर ठीक से बिलीरुबिन को प्रोसेस नहीं कर पाता।
3. पोस्ट-हेपेटिक पीलिया (Post-Hepatic Jaundice)
यह पीलिया तब होता है जब बिलीरुबिन का निर्माण लीवर से पार जाने के बाद होता है और शरीर इसे जल्दी बाहर नहीं निकाल पाता है।
4. ऑब्सट्रक्टिव पीलिया (Obstructive Jaundice)
यह पीलिया तब होता है जब पित्त (Bile) या अग्नाशयी नलिका (Pancreatic Duct) का रास्ता बाधित हो जाता है। इस प्रकार के पीलिया में मृत्यु दर बहुत अधिक होती है, इसलिए इसे जल्दी पहचानना और उसका इलाज करना महत्वपूर्ण होता है।
पीलिया के कारण [ref]
पीलिया कई कारणों से हो सकता है। यह समस्या लीवर, गॉलब्लेडर और रक्त कोशिकाओं से संबंधित होती है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
हेपेटाइटिस: लीवर में सूजन वायरस, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, शराब या नशीली दवाओं के सेवन या रासायनिक जोखिम के कारण हो सकती है। यह कम से कम 6 महीने तक रह सकता है। लंबे समय तक सूजन लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे पीलिया हो सकता है।
शराब से संबंधित लीवर रोग: लंबे समय यानी आमतौर पर 8 से 10 साल तक बहुत अधिक शराब पीने से लीवर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं। विशेष रूप से अल्कोहलिक हेपेटाइटिस और अल्कोहलिक सिरोसिस लीवर को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
अन्य लीवर संबंधित रोग: सिरोसिस, ऑटोइम्यून बीमारियों और आपके परिवार की आनुवंशिक स्थितियों और हेपेटाइटिस के कारण भी हो सकता है।
अग्नाशय (Pancreatic) का कैंसर: यह पुरुषों में होने वाला 10वां और महिलाओं में 9वां सबसे आम कैंसर है। यह पित्त नली को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे पीलिया हो सकता है।
कुछ दवाएँ: एसिटामिनोफेन, पेनिसिलिन, गर्भनिरोधक गोलियाँ और स्टेरॉयड जैसी दवाओं को लीवर रोग से जोड़ा गया है।
पीलिया का निदान
पीलिया की जांच और निदान के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं:
शारीरिक परीक्षण : डॉक्टर त्वचा, आंखों और पेट की जांच करते हैं।
रक्त परीक्षण : बिलीरुबिन के स्तर को मापने के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है।
अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन : लीवर और पित्त नलिकाओं की संरचना की जांच के लिए किया जाता है।
लीवर बायोप्सी : लीवर की सूक्ष्म जांच के लिए यह परीक्षण किया जाता है।
पीलिया का इलाज
पीलिया का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है। सही निदान के बाद उपचार किया जाता है। हालांकि पीलिया का कोई तय इलाज नहीं है।
पीलिया से शरीर में खुजली हो सकती है। इसे कम करने के लिए डॉक्टर एंटीहिस्टामाइन दवाई दे सकते हैं। वहीं गंभीर खुजली का अनुभव करने वालों के लिए डॉक्टर द्वारा कोलेस्टिरमाइन या कोलस्टिपोल जैसी दवाएँ दी जाती हैं।
पीलिया कभी-कभी लीवर को नुकसान होने का संकेत दे सकता है, इसलिए बीमारी की गंभीरता के आधार पर कुछ मामलों में लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है। इसका इलाज न करवाना जीवन के लिए खतरनाक भी हो सकता है।
पीलिया से बचाव
पीलिया लीवर के कार्य से संबंधित रोग है। लोग अपनी जीवनशैली में कई बदलाव करके अपने लीवर की देखभाल कर सकते हैं, जैसे:
- संतुलित आहार खाना
- नियमित रूप से व्यायाम करना
- शराब का सेवन सीमित करना
- दवाओं का सावधानीपूर्वक उपयोग करना
- धूम्रपान और शराब से बचना
- निर्धारित दवाओं की बताए गए खुराक से अधिक लेने से बचना
- यात्रा करने से पहले जरूरी टीके लगवाना
- सुरक्षित यौन संबंध बनाना
घरेलू उपाय और जीवनशैली में सुधार
पीलिया के इलाज के साथ-साथ जीवनशैली में सुधार और घरेलू उपचार भी फायदेमंद हो सकते हैं।
पानी और तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं : हाइड्रेशन शरीर से गैर जरूरी पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
पौष्टिक आहार लें : ताजा फल, सब्जियां और हल्का भोजन करें।
शराब और तले हुए भोजन से बचें : ये लीवर पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं।
नींबू पानी और गन्ने का रस : यह लीवर की सफाई में मदद करते हैं।
योग और व्यायाम : पाचन तंत्र और लीवर को स्वस्थ रखने के लिए योग और हल्का व्यायाम करें।
निष्कर्ष
पीलिया एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन इसका समय पर निदान और इलाज बेहद जरूरी है। यह लीवर और रक्त से संबंधित गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है। यदि लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। स्वच्छता, संतुलित आहार, और जीवनशैली में सुधार करके पीलिया से बचा जा सकता है। स्वस्थ लीवर स्वस्थ जीवन की कुंजी होती है।