कब्ज़ (Constipation) एक आम लेकिन एक व्यक्ति को बेहद असुविधा में डालने वाली समस्या है। इस रोग में व्यक्ति को मल त्यागने में कठिनाई होती है। कब्ज़ किसी व्यक्ति के पाचन तंत्र में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है और समय पर इसका समाधान होने से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को टाला जा सकता है।
कब्ज़ से बचाव का सबसे आसान तरीका है जीवनशैली में सुधार और संतुलित आहार का सेवन करना। इस आर्टिकल में हम कब्ज़ के कारण, लक्षण जानने के साथ ही इससे बचाव के 10 घरेलू उपचार पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
कब्ज़ के कारण (Causes of Constipation) [ref]
अलग-अलग लोगों में मल त्याग करने (Bowel Movement) का पैटर्न अलग-अलग होता है। किसी-किसी व्यक्ति को रोजाना 3 बार मल त्यागने की जरूरत महसूस होती है, तो किसी व्यक्ति को एक सप्ताह में केवल 3 बार ही मल त्याग करने की जरूरत महसूस होती है। इस पैटर्न से ही पता चलता है कि कोई व्यक्ति कब्ज़ का शिकार है या फिर कम मल त्याग करना उस व्यक्ति के लिए सामान्य है।
सामान्य तौर पर, कब्ज़ तब होता है जब मल बड़ी आंत से बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ता है, जिसे कोलन (Colon) भी कहा जाता है। मल निकलने की प्रक्रिया धीमी होने से शरीर मल से बहुत सारा पानी सोख लेता है, जिससे मल सूखकर कठोर हो जाता और मलद्वार से निकलना मुश्किल हो सकता है।
कब्ज़ के कुछ निम्नलिखित कारण –
जीवनशैली के कारण
अपने रोजमर्रा के जीवन में कुछ सही आदतों को लागू नहीं करना भी कब्ज़ की समस्या को जन्म दे सकता है। इनमें शामिल हैं –
- पर्याप्त तरल पदार्थ न पीना
- पर्याप्त फाइबर से भरपूर भोजन न करना
- नियमित रूप से व्यायाम नहीं करना
- मल त्यागने की इच्छा होने पर भी शौचालय का उपयोग न करना
दवाओं के कारण
पेन किलर सहित कुछ अन्य दवाओं के साइड इफेक्ट से कब्ज़ की समस्या देखने को मिल सकती है। निम्नलिखित बीमारियों की दवाएँ लेना भी कब्ज़ का कारण बन सकता है। इनमें शामिल हैं –
- दर्द
- उच्च रक्तचाप
- अवसाद या डिप्रेशन
- तंत्रिका तंत्र के विकार (Nervous system disorder)
- एलर्जी
पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां
हमारी शरीर के निचले हिस्से में अंगों को थामे रखने वाली मांसपेशियों को पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां बकहा जाता है। इन मांसपेशियों को शिथिल करने और नीचे की ओर दबाव डालने की क्षमता मलाशय से मल को बाहर निकालने के लिए आवश्यक होती हैं। इन मांसपेशियों में कमज़ोरी या कोई अन्य समस्या पुरानी कब्ज़ का कारण बन सकती है।
अन्य कारण
मल को बाहर निकालने में शामिल मांसपेशियों, नसों या हार्मोन के काम को कई स्थितियाँ प्रभावित कर सकती हैं। जिनमें शामिल हैं –
- मधुमेह
- आंत संबंधी रोग
- मल्टिपल स्केलेरोसिस
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम
- नर्व में क्षति
- हाइपरथायरायडिज्म
- पार्किंसंस रोग
- गर्भावस्था
कब्ज़ के लक्षण (Symptoms of Constipation) [ref]
कब्ज़ के सामान्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं –
- सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग करना
- कठोर, सूखा या गांठदार मल होना
- मल त्यागते समय तनाव या दर्द होना
- ऐसा महसूस होना कि सारा मल नहीं निकला है
- ऐसा महसूस होना कि मलाशय में अवरुद्ध या बाधा है।
- मल त्यागने के लिए उंगली का उपयोग करने की आवश्यकता महसूस होना
क्रोनिक कब्ज़ के मरीजों में तीन महीने या उससे अधिक समय तक इनमें से दो या अधिक लक्षण होते हैं।
बचाव के 10 घरेलू उपाय (10 Home Remedies of Constipation) [ref]
1. फाइबर युक्त आहार लें : फाइबर युक्त भोजन कब्ज़ को रोकने में सहायक होता है, क्योंकि यह मल को मुलायम बनाता है और आंतों की कार्यक्षमता में सुधार करता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ में साबुत अनाज, ब्राउन राइस, दलिया और फल और सब्जियों में पपीता, अमरूद, सेब, गाजर व पालक शामिल हैं।
2. पर्याप्त पानी का सेवन करें : शरीर में पर्याप्त पानी होने से मल को नरम बनाए रखा जा सकता है। दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। सुबह गुनगुना पानी पीने से पाचन क्रिया में सुधार होता है।
3. नियमित शारीरिक गतिविधियां करें : रोजाना 30 मिनट टहलना या योग करने से पाचन तंत्र सक्रिय रहता है। पवनमुक्तासन और भुजंगासन जैसे योगासन कब्ज़ को कम करने में मददगार होते हैं।
4. समय पर भोजन और मल त्याग करें : भोजन और मल त्याग के लिए नियमित समय निर्धारित करें। सुबह उठने के साथ मल त्याग करने की आदत डालें।
5. प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करें : रात में गुनगुने पानी के साथ त्रिफला चूर्ण सेवन करें। इसबगोल की भूसी को दूध या पानी के साथ लें। सोने से पहले गुनगुने दूध का सेवन करें।
6. तनाव कम करें : तनाव पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है। इससे बचने के लिए ध्यान और प्राणायाम जैसे तकनीकों का अभ्यास करें।
7. प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स का सेवन करें : दही और छाछ जैसे खाद्य पदार्थ आंतों में स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। इससे कब्ज़ से बचाव संभव है।
8. कॉफी पिएं : कुछ लोगों में कॉफी पीने से मल त्यागने की इच्छा बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कॉफी पाचन तंत्र की मांसपेशियों को उत्तेजित करता है।
9. मुनक्के का सेवन : लगभग 8 से 10 मुनक्का लें और उसे रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसके बीज को निकालकर दूध में उबाल कर खाएं और दूध पी लें।
10. आयुर्वेदिक दवाएं : आयुर्वेद में कब्ज़ के लिए काफी समाधान मौजूद हैं। आयुर्वेद के जानकार आपको बेल के चूर्ण जैसे आयुर्वेदिक दवाएं बता सकते हैं, जो कब्ज़ से लड़ने में कारगर हैं।
कब्ज़ से जुड़ी मिथक और सच्चाई
लोगों के बीच एक मिथक है कि रोजाना मल त्याग न करना कब्ज़ होना होता है, जबकि सच्चाई यह है कि हर व्यक्ति की मल त्याग की आदत अलग होती है। अगर परेशानी न हो, तो यह कब्ज़ नहीं है।
कब्ज़ के दुष्परिणाम [ref]
कब्ज़ को नजरअंदाज करना स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। इसके कुछ गंभीर प्रभाव निम्नलिखित हैं –
- बवासीर
- एनल फिशर
- अपच और अल्सर
- पेट का भारीपन और गैस
डॉक्टर को कब दिखाएं
यदि आपको कब्ज़ के निम्नलिखित लक्षण 3 सप्ताह से ज्यादा समय तक नजर आ रहे हैं तो बिना देरी के डॉक्टर से सम्पर्क करें। इनमें शामिल हैं –
- मलाशय से रक्तस्राव या टॉयलेट टिशू पर खून
- मल में खून या काला मल
- मल के आकार या रंग में अन्य असामान्य परिवर्तन
- पेट दर्द जो ठीक नहीं हो
- बिना किसी कारण वजन कम होना
- मल त्याग में कठिनाई
- सख्त और सूखा मल
- मल त्यागने के बाद भी पेट भरा हुआ महसूस होना।
- गैस और पेट फूलने की समस्या
निष्कर्ष
कब्ज़ एक सामान्य लेकिन असुविधाजनक समस्या है, जिसे समय पर नियंत्रित किया जा सकता है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और घरेलू उपाय अपनाकर इससे बचा जा सकता है। इसके अलावा तनावमुक्त जीवन और पर्याप्त पानी का सेवन भी कब्ज़ से बचाव में मदद करता है। प्राकृतिक उपायों और स्वस्थ आदतों के जरिए इस समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।