सिस्टिटिस, निचले मूत्रमार्ग में इंफ्केशन (Lower Urinary Tract Infection) को दर्शाता है। यह बीमारी तब होती है, जब ई. कोलाई नामक बैक्टीरिया मूत्रमार्ग और मूत्राशय में प्रवेश कर जाता है। इस स्थिति में बैक्टीरिया मूत्राशय की परत से चिपक जाते हैं और उस क्षेत्र में जलन और सूजन पैदा करते हैं। सिस्टिटिस (Cystitis) को ब्लैडर संक्रमण के रूप में जाना जाता है।
महिलाओं में ज्यादा होती है यह बीमारी
रिसर्च के मुताबिक सिस्टिटिस किसी को भी प्रभावित कर सकता है, चाहे वह किसी भी लिंग या उम्र का हो लेकिन यह रोग महिलाओं में अधिक आम है। इसका एक कारण यह है कि महिलाओं का मूत्रमार्ग छोटा होता है, जो गुदा (Anus) के करीब होता है। इसका मतलब यह है कि बैक्टीरिया मूत्राशय में अधिक आसानी से प्रवेश कर सकते हैं। (Ref)
सिस्टाइटिस में नजर आते हैं ये लक्षण (Symptom of Cystitis)
यह बीमारी कई प्रकार की होती है और उसी के आधार पर अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं, जिनमें शामिल हैं-
- पेशाब करते समय दर्द, जलन या चुभन
- अधिक बार पेशाब आना
- तेज़ गंध वाला पेशाब
- पेशाब कंट्रोल न कर पाना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- कमजोरी और थकान
पुरुषों और महिलाओं में सामान्यत: एक ही तरह के लक्षण नजर आते हैं।
वहीं बच्चों में यह बीमारी होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं-
- बुखार
- थकान, कमजोरी और दर्द
- चिड़चिड़ापन
- भूख की कमी
- उल्टी
सिस्टाइटिस के प्रकार (Types of Cystitis)
सिस्टिटिस कई प्रकार (Ref) के होते हैं। विभिन्न प्रकार उनके कारणों के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं, और इसमें शामिल हैं:
बैक्टीरियल सिस्टिटिस– यह तब होता है, जब बैक्टीरिया मूत्रमार्ग के माध्यम से मूत्राशय में प्रवेश करते हैं और मूत्राशय की दीवारों पर जलन पैदा करते हैं।
दवा के कारण होने वाला सिस्टिटिस– कुछ दवाएं शरीर से बाहर निकलते ही मूत्राशय में जलन पैदा कर सकती हैं। इतना ही नहीं कीमोथेरेपी (Chemotherapy) के लिए इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाइयां भी सिस्टिटिस का कारण बन सकती हैं।
रेडिएशन सिस्टिटिस– रेडिएशन थेरेपी ट्यूमर को छोटा कर सकती है और कैंसर कोशिकाओं को मार सकती है लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं, जिसमें यह स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकती है। रेडिएशन सिस्टिटिस आम तौर पर रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy) के बाद होता है जो पेल्विक क्षेत्र को प्रभावित करता है।
फॉरेन बॉडी सिस्टिटिस: यह तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति कैथेटर, स्टेंट या अन्य एंडोस्कोपिक उपकरणों का उपयोग करके उपचार प्राप्त करता है।
केमिकल सिस्टिटिस: यह मूत्राशय की सूजन है जो कुछ प्रकार के उपचार, जैसे कि कीमोथेराप्यूटिक एजेंटों के कारण हो सकता है।
सिस्टिटिस का प्रभावी उपचार (Treatment of Cystitis)
सिस्टाइटिस के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क कर इलाज कराना चाहिये। इसके इलाज के तरीकों में शामिल है- (Ref)
- डॉक्टर खुद का ध्यान रखने और पेनकीलर लेने की सलाह दे सकते हैं
- कभी-कभी यूरिन टेस्ट करने की जरूरत पड़ सकती है
- 3 दिनों के लिए एंटीबायोटिक दवाइयां दी जा सकती हैं
हालांकि, एंटीबायोटिक शुरू करने से पहले डॉक्टर 48 घंटे रूकने की सलाह दे सकते हैं ताकि लक्षणों में अपने आप ही आराम हो जाये
अगर बार-बार सिस्टिटिस हो, तो उसका इलाज करने के लिए
- सेक्स के कारण सिस्टिटिस ट्रिगर होता है, तो सेक्स करने के 2 घंटे के अंदर एंटीबायोटिक की सिंगल डोज लेनी पड़ सकती है
- 6 महीने तक एंटीबायोटिक की कम खुराक लेनी पड़ सकती है
- मेनोपॉज से गुजर चुकी महिलाओं को वेजाइनल ओएस्ट्रोजन क्रीम दी जाती है
सिस्टिटिस से रोकथाम के सुझाव (Prevention from Cystitis)
रोज की आदतों में बदलाव और कुछ विशेष बातों का ध्यान रखकर सिस्टिटिस जैसी बीमारी से बचाव किया जा सकता है, जिनमें शामिल है
सफाई का ध्यान रखना– जेनाइटल यानी जननांग की स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है। इसके लिए गर्म पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। महिलाओं को इंटिमेट हाइजीन प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है। आंतों के बैक्टीरिया को योनि और मूत्रमार्ग में प्रवेश करने से रोकना महत्वपूर्ण है। इसीलिए, महिलाओं को शौचालय जाने के बाद हमेशा आगे से पीछे की ओर पोंछने की सलाह दी जाती है। (Ref)
हाइड्रेशन का ध्यान रखें– पेशाब के संक्रमण से बचने का सबसे आसान तरीका है हाइड्रेशन (Hydration) का ध्यान रखना। इससे शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
क्रेनबेरी जूस पिएं– सिस्टिटिस की रोकथाम के लिए कभी-कभी क्रैनबेरी प्रोडक्ट्स लेने की सिफारिश की जाती है, जो दवा की दुकानों में कैप्सूल, टैबलेट, पाउडर, चाय और जूस के रूप में उपलब्ध हैं। अध्ययनों से पता चला है कि जो महिलाएं क्रैनबेरी उत्पाद लेती हैं, उनमें सिस्टिटिस विकसित होने की संभावना कुछ कम होती है4।
पेशाब रोकें नहीं– पेशाब को रोके रखना सिस्टिटिस (Cystitis) के खतरे को बढ़ा सकता है। इसीलिए, जब भी जरूरत लगे पेशाब करने जाएं।
निष्कर्ष
कुछ दिनों में सिस्टिटिस के लक्षण अपने आप ठीक हो जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति में हल्के से मध्यम लक्षण हैं, तो ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक (Over the counter Painkillers) और घरेलू उपचार का उपयोग करके इसका उपचार किया जा सकता है। अगर बीमारी बढ़ जाये, तब डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता हो सकती है।