चिकनपॉक्स वेरीसेला जोस्टर (varicella zoster) नामक वायरस से होता है। भारत में इसे कई तरह के नामों से जाना जाता है। कुछ राज्यों में इसे ‘माता’ का आना कहते हैं, तो कहीं इसे ‘छोटी चेचक’ और ‘बड़ी चेचक’ भी कहा जाता है। वैसे तो यह बीमारी आम तौर पर 2 से 8 साल की उम्र के बच्चों में देखी जाती है लेकिन वयस्क भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी संक्रामक रूप ले सकती है। आज हम इस आर्टिकल में चिकनपॉक्स के कारण, लक्षण, उपचार एवं इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे।
शुरुआत में यह बीमारी क्यों होती है, इसे समझना आवश्यक है।
चिकनपॉक्स के कारण (Causes of Chickenpox)
वेरिसेला-जोस्टर वायरस (VZV) चिकनपॉक्स का कारण बनता है। यह एक बेहद संक्रामक वायरस है, जो हर्पीज वायरस के परिवार से संबंधित है। हर्पीज वायरस परिवार में 100 से ज़्यादा वायरस हैं। ये शरीर में ज़्यादातर त्वचा, म्यूकस मेम्ब्रेन, नसों और ऊतकों को प्रभावित करते हैं।
एक से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है चिकन पॉक्स!
चिकनपॉक्स सबसे संक्रामक बीमारियों में से एक है। ऐसे लोग जिन्हें चिकनपॉक्स नहीं हुआ है, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है, या जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity System) कमजोर है, उनमें इस संक्रमण के फैलने का खतरा अधिक होता है। इतना ही नहीं संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने या खांसने या छीकने से हवा में वायरस के फैलने से भी यह रोग हो सकता है।
समय रहते पहचानें चिकनपॉक्स के लक्षण (Symptoms of Chickenpox)
चिकनपॉक्स (chicken pox) होने पर 10 से 21 दिन के बीच शरीर पर दाने या चकत्ते दिखाई देते हैं। इस बीमारी के शुरुआत में जो लक्षण नजर आते हैं, वो हैं-
- बुखार
- सिरदर्द,
- भूख नहीं लगना
- थकान
शुरुआती लक्षणों के दिखाई देने के दो दिन बाद चेहरे, छाती और पीठ पर लाल रंग के दाने दिखाई देते हैं, जो शरीर में फैलते रहते हैं। यह चकत्ते पलक के पास, मुंह के अंदर, प्राइवेट पार्ट पर भी दिख सकते हैं। पहले चकत्ते उभरे हुए होते हैं। मगर बीमारी बढ़ने पर चकत्ते मवाद भरे फफोले में बदल जाते हैं। बाद में यही छाले खुलते हैं और सूखकर पपड़ी बनते हैं। इन लक्षणों के नजर आने पर तुरंत इलाज कराना जरूरी है।
कैसे किया जाता है चिकनपॉक्स का इलाज? (Treatment of Chickenpox)
चिकनपॉक्स का कोई विशेष उपचार नहीं है, लेकिन यह आमतौर पर एक या दो हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाता है। डॉक्टर दवाएं लिख सकते हैं या खुजली और असहजता को कम करने के उपाय बता सकते हैं। इसके साथ ही संक्रमण (Infection) के जोखिम को कम करने की सलाह भी दे सकते हैं।
लक्षणों को कम करने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं :
दर्द निवारक दवाएं : चिकनपॉक्स के दौरान बुखार और दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह से कुछ दवाइयां ली जा सकती हैं।
डिहाइड्रेशन से बचाव : इस बीमारी की चपेट में आने पर हाइड्रेटेड रहने के लिए पर्याप्त पानी पीना पीएं क्योंकि डिहाइड्रेशन (Dehydration) चिकनपॉक्स की एक जटिलताओं को बढ़ा सकता है।
गर्म या मसालेदार भोजन से बचें : चिकेनपॉक्स से मुंह में छाले हो सकते हैं। ऐसे में गर्म या मसालेदार भोजन का सेवन न करें।
खुजली न करें : चिकेनपॉक्स होने पर खुजली गंभीर हो सकती है, लेकिन इस दौरान खरोंचने से बचना आवश्यक है ताकि निशान न पड़े। इसमें मदद के लिए डॉक्टर की सलाह से कुछ मलहम लगाएं और ढीले कपड़े पहनें।
निष्कर्ष:
चेचक या चिकेनपॉक्स एक सामान्य बीमारी है। हालांकि कुछ मामलों में इस बीमारी के गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं, इसलिए लक्षण नजर आते ही तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह के अनुसार कदम उठाएं।