कार्डियक अरेस्ट: Cardiac Arrest – पुरुष और महिलाओं में अलग-अलग नजर आते हैं लक्षण!
कार्डियक अरेस्ट एक ऐसी आपातकालीन स्थिति है जहाँ व्यक्ति को कुछ सोचने का समय मिले, उससे पहले ही उसकी मौत हो जाती है। आपने भी अपने आसपास ऐसे कई मामले देखे होंगे जहाँ वॉक करते-करते या नाचते या खाते हुए अचानक व्यक्ति बेहोश होकर गिर गया और उसकी मौत हो गयी। इसके बाद जब डॉक्टर उसके मौत के कारणों का पता लगाते हैं, तब पता चलता है कि व्यक्ति को सडेन कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) आया था। ऐसा किसी भी उम्र के व्यक्ति के साथ हो सकता है।
सडन कार्डियक अरेस्ट क्या होता है? (Sudden Cardiac Arrest)
कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest in Hindi) दिल से जुड़ी गंभीर समस्या है। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति के शरीर में ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई थम जाती है। इस बारे में हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. कुश कुमार भगत का कहना है कि जब अचानक किसी व्यक्ति के दिल की धड़कन बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो हार्ट ब्लड को पम्प करना बंद कर देता है। ऐसी अवस्था में शरीर के सभी अंगों तक रक्त और ऑक्सीजन की सप्लाई रूक जाती है और अचानक व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसे सडेन कार्डियक अरेस्ट कहते हैं।
सडन कार्डियक अरेस्ट के लक्षण (SCA Symptoms)
- अचानक से गिर जाना या बेहोश हो जाना
- सांस न लेना या फिर सांस लेने में बहुत ज्यादा कठिनाई होना
- चिल्लाने या हिलाने पर व्यक्ति द्वारा कोई प्रतिक्रिया न देना
- पल्स न मिलना
पुरुष और महिलाओं में कार्डियक अरेस्ट के लक्षणों में नजर आता है अंतर
शोधकर्ताओं ने पुरुषों और महिलाओं के बीच सडेन कार्डियक अरेस्ट के लक्षणों में भी अंतर पाया है। उनके मुताबिक कार्डियक अरेस्ट से 24 घंटे पहले महिलाओं में सबसे प्रमुख लक्षण जो नजर आता है वो है सांस की तकलीफ। वहीं पुरुषों में सीने में दर्द इसका सबसे प्रमुख लक्षण है। पुरुषों में सडेन कार्डियक अरेस्ट होने की संभावना कहीं अधिक होती है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में औसतन 8-10 साल बाद इस स्थिति का सामना करना पड़ता है।
कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) के इन रिस्क फैक्टर्स से करें बचाव
कई ऐसे रिस्क फैक्टर्स हैं जो व्यक्ति में कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ा देते हैं। इनमें कुछ बीमारियां भी शामिल हैं, जैसे-
हृदय संबंधी बीमारियां
कोरोनरी हार्ट डिजीज, दिल की धड़कन का अनियमित होना, हार्ट अटैक, एनजाइना, जन्मजात हृदय रोग, हार्ट इंफ्लेमेशन, हार्ट फेलियर आदि बीमारियों में दिल बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है, जो सडेन कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है।
शारीरिक तनाव
नियमित रूप से व्यायाम करना व्यक्ति के स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है। इससे हार्ट भी मजबूत होता है लेकिन कई ऐसे लोग हैं जो रोज एक्सरसाइज नहीं करते और फिर अचानक से बहुत अधिक शारीरिक गतिविधियां करने लगते हैं। ऐसे लोगों में शारीरिक तनाव के कारण कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है। आंकड़ों की मानें तो 20 में से 2 कार्डियक अरेस्ट के मामले बहुत ज्यादा फिजिकल एक्सर्जन या स्ट्रेस के कारण होते हैं।
उम्र
उम्र का बढ़ना कार्डियक अरेस्ट के खतरे को भी बढ़ा देता है। यह एक ऐसा रिस्क फैक्टर है, जिससे बचाव करना मुश्किल है। वैसे आजकल युवा पीढ़ी भी इस जानलेवा परिस्थिति का शिकार हो रही है। इसका मुख्य कारण है अनियमित दिल की धड़कन, हार्ट की बनावट में कोई खराबी होना, कोरोनरी आर्टरी डिजीज आदि। आनुवंशिक कारण से भी ऐसा हो सकता है। दूसरी तरफ बुजुर्गों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज एवं अन्य हृदय संबंधी बीमारियां कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest Meaning in Hindi) के खतरे को बढ़ा देती हैं।
शराब का सेवन
जो लोग रोजाना शराब का सेवन करते हैं, उनमें सडेन कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest Meaning in Hindi) का जोखिम ज्यादा होता है। आंकड़ों की मानें तो 20 में से 3 कार्डियक अरेस्ट के मामले शराब के सेवन के कारण होते हैं।
दवाईयां
कुछ एंटीबायोटिक्स, मूत्रवर्धक और हृदय संबंधी दवाईयों के कारण एरिदमिया और भी ज्यादा गंभीर रूप ले सकती है और ये सडेन कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती है।
कैसे होता है कार्डियक अरेस्ट का निदान?
वैसे तो ज्यादातर कार्डियक अरेस्ट के मामलों में व्यक्ति की मौत हो जाती है । ऐसे में उसके निदान का समय ही नहीं मिलता। वहीं अगर व्यक्ति की जान बच जाये तो निम्नलिखित तरीकों से कार्डियक अरेस्ट का निदान किया जा सकता है-
ब्लड टेस्ट
एंजाइम की जाँच करने के लिए व्यक्ति का रक्त परीक्षण किया जाता है ताकि इस बात का पता चल सके कि कहीं उसे हार्ट अटैक तो नहीं आया था। शरीर में कोलेस्ट्रॉल, मिनरल्स एवं केमिकल के स्तर का पता लगाने में भी ब्लड टेस्ट सहायता करता है।
कोरोनरी एंजियोग्राफी
इस प्रक्रिया में एक्स-रे इमेजिंग का उपयोग किया जाता है ताकि हृदय की रक्त वाहिकाओं की जांच की जा सके।
छाती का एक्स-रे
इस परीक्षण की मदद से हृदय और रक्त वाहिकाओं के आकार की जांच की जाती है।
इकोकार्डियोग्राम
कार्डियक अरेस्ट के कारण हृदय का कौन सा हिस्सा डैमेज हुआ है, इसका पता लगाने के लिए इकोकार्डियोग्राम किया जाता है। इस प्रक्रिया में हृदय की छवि खींचने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)
हृदय की गति और लय की जांच करने के लिए ईसीजी की जाती है, जिसमें विद्युत प्रवाह का उपयोग किया जाता है।
कार्डियक अरेस्ट में सीपीआर (CPR) से बच सकती है जान!
सीपीआर का मतलब है कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर)। इस प्रक्रिया में मरीज की छाती को हथेलियों की मदद से बार-बार दबाया जाता है ताकि दिल रक्त को फिर से पंप कर सके और शरीर के सभी अंगों तक रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह दोबारा शुरू हो जाये। अगर यह प्रक्रिया सफल हो जाती है तो व्यक्ति की जान बचायी जा सकती है।
इसके अलावा ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफ्रिबिटेलटर (एईडी) की मदद से व्यक्ति को नया जीवन दिया जा सकता है। इसमें कार्डियक अरेस्ट होने पर मरीज के हृदय के समीप एईडी मशीन को लगाकर उसे शॉक दिया जाता है ताकि मरीज के हृदय की गति फिर से कार्य करना शुरू कर दे और मरीज को अस्पताल ले जाने का समय मिल जाये।
निष्कर्ष (Conclusion)
कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) एक जानलेवा परिस्थिति है। हाँ अगर सीपीआर या एईडी तकनीक की मदद से मरीज की जान बचा ली जाये और वो सही समय पर अस्पताल पहुँच जाये, तो कार्डियक अरेस्ट का इलाज किया जा सकता है। मरीज के अनियमित दिल की धड़कन को नियमित करने के लिए मरीज को दवाईयां दी जा सकती हैं। इसके अलावा कोरोनरी एंजियोप्लास्टी व कोरोनरी बाइपास सर्जरी से भी इसका इलाज संभव है।