हीमोफीलिया (Hemophilia) मुख्य रूप से पुरुषों में होने वाला एक विकार है, जो उनके जन्म के साथ ही शरीर में मौजूद होता है।
इसे सामान्य शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है कि एक पुरुष के जन्म में माता-पिता के एक्स व वाई क्रोमोजोम्स का योगदान होता है। इसी एक्स क्रोमोजोम में किसी तरह की कमी होने से नवजात शिशु हीमोफीलिया के साथ जन्म लेता है। आंकड़ों की मानें तो एक पुरुष में हिमोफिलिया होने का खतरा 50 फीसदी तक रहता है। (Ref)
महिलाओं के जन्म में माता-पिता के 2 एक्स क्रोमोजोम्स का योगदान होता है। ऐसे में महिलाओं में इस बीमारी के मिलने की संभावना कम रहती है। महिलाओं में यह रोग तभी होगा जब उनके दोनों एक्स क्रोमोजोम्स में समस्या होगी। हालांकि, अगर किसी महिला में एक एक्स क्रोमोजोम में समस्या है तो यह संभव है कि उसके होने वाले बच्चे हीमोफीलिया से पीड़ित हो जाएं।
इस आर्टिकल में हीमोफीलिया के संबंध में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है। इस बीमारी के लक्षणों को पहचानने से पहले ये जान लेते हैं कि यह कितने प्रकार की होती है।
हीमोफीलिया के प्रकार (Types of Hemophilia)
हीमोफीलिया मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। इसे टाइप ए और टाइप बी कहा जाता है। किसी-किसी मरीज को ए औ बी दोनों टाइप का हीमोफीलिया हो सकता है।
इन दोनों ही टाइप के मरीज में हीमोफीलिया के हल्के, मध्यम व गंभीर स्तर देखे जा सकते हैं। करीब 25 प्रतिशत लोगों में हल्के, 15 प्रतिशत लोगों में मध्यम और 60 प्रतिशत लोगों में हीमोफीलिया के गंभीर मामले रिपोर्ट होते हैं।
हीमोफीलिया के लक्षण (Symptoms of Hemophilia)
हीमोफीलिया के लक्षणों की बात करें तो इसका सबसे सामान्य लक्षण है किसी तरह की चोट लगने के बाद लंबे समय तक रक्त स्त्राव यानी ब्लीडिंग होना। हालांकि, इसके अन्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं – (Ref)
- टीकाकरण के बाद असामान्य रक्तस्त्राव
- जोड़ों में दर्द, सूजन व जकड़न
- मूत्र अथवा मल त्याग के दौरान रक्तस्त्राव
- बिना किसी कारण नाक से खून बहना
गंभीर हीमोफीलिया से पीड़ित मरीजों के सिर में जरा सी भी चोट लगने पर खून निकलने लगता है। इसके अन्य लक्षण हैं –
- लंबे समय तक सिरदर्द (Headache)
- बार -बार उल्टी
- नींद या सुस्ती
- डबल विजन
- अचानक कमजोरी आना
- घुटनों, कोहनी, कूल्हों और कंधों में अचानक दर्द व सूजन
- गर्दन में दर्द (Neck Pain)
डॉक्टर को कब दिखाना है जरूरी?2
हीमोफिलिया में जान का खतरा हो सकता है। ऐसे में अगर नीचे बताये गये लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये-
- बच्चे के सिर में रक्तस्त्राव के लक्षण नजर आना
- चोट लगने के बाद ब्लीडिंग बंद न होना
- जोड़ों में लगी चोट को छूने पर गर्म लगना
- जोड़ों को मोड़ने से ज्यादा दर्द होना
वैसे जीवनशैली में कुछ बदलाव इस बीमारी के लक्षणों से राहत दे सकते हैं।
इन बदलावों से बदलें जीवन
- हल्का व्यायाम करें
- स्वीमिंग, रनिंग, साइकलिंग आदि से जुड़ें
- दांत की स्वच्छता (Dental Hygiene) का ध्यान रखें।
- एस्पिरिन और हेपरिन जैसी दवाइयों के सेवन से बचें।
हीमोफीलिया का इलाज (Treatment of Hemophilia) (Ref)
हेमोफिलिया ए और बी दोनों के इलाज का त3रीक यही है कि रक्त को जमने में सहायता करने वाले कारकों को बदल दिया जाए। ऐसा करने से रक्त सही ढंग से जमने लगता है। इस प्रक्रिया में नसों में इंजेक्शन दिया जाता है।
यह दो प्रकार का होता है –
प्रोफिलैक्टिक थेरेपी: कुछ रोगियों में रक्तस्राव को रोकने के लिए नियमित रिप्लेसमेंट थेरेपी की आवश्यकता होती है। इसे प्रोफिलैक्टिक थेरेपी कहा जाता है। डॉक्टर आमतौर पर हीमोफीलिया ए (Hemophilia A) के गंभीर रूपों वाले लोगों के लिए इस उपचार की सलाह देते हैं।
डिमांड थेरेपी: यह ब्लीडिंग शुरू होते ही उसे रोक देता है। हल्के हीमोफीलिया वाले मरीजों में डिमांड थेरेपी की जाती है।
इलाज की जटिलताएं1 (Complications of Hemophilia Treatment)
हीमोफीलिया के उपचार में जटिलताएं हो सकती हैं। इनमें रक्त जमने वाले कारकों से संक्रमण व इलाज के प्रति एंटीबॉडी विकसित होना शामिल है। ऐसी किसी भी स्थिति में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें और शरीर के अन्य अंगों को नुकसान होने से बचाएं।
निष्कर्ष
हेमोफिलिया एक जन्मजात रक्तस्राव विकार (Congenital Bleeding Disorder) है, जो अत्यधिक चोट लगने, नाक से खून आने और गंभीर मामलों में सामान्य से अधिक रक्तस्राव से जुड़ा है। यह स्थिति आमतौर पर पुरुषों को प्रभावित करती है। हीमोफीलिया के साथ रहने वाला व्यक्ति आम तौर पर फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी और जीवन शैली में बदलाव कर इस स्थिति का सही प्रबंधन कर सकता है।